भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच के रूप में गौतम गंभीर की नियुक्ति को लेकर बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन श्रीलंका और न्यूजीलैंड के खिलाफ हाल ही में मिली करारी हार ने उन्हें मुश्किल स्थिति में ला खड़ा किया है। गंभीर को इस पद पर आए तीन महीने भी नहीं हुए हैं, लेकिन उनकी कोचिंग पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। राष्ट्रीय टीम के कोच बनने के समय उनकी नियुक्ति को लेकर प्रशंसकों में काफी उत्साह था, और उन्हें एक नए दृष्टिकोण के साथ टीम को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इतना ही नहीं, ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए चयन समिति की बैठक में भी गंभीर को विशेष भूमिका दी गई थी, ताकि वह टीम की संरचना और रणनीति में योगदान दे सकें।
हालांकि, शुरुआती दौर में ही टीम के प्रदर्शन में गिरावट ने गंभीर की रणनीतियों और कोचिंग दृष्टिकोण पर सवाल खड़े कर दिए हैं। टीम के चयन और मैच योजनाओं में काफी छूट देने के बावजूद भी उनके प्रयासों का असर नज़र नहीं आ रहा है। पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज के लिए यह सफर चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है, और उनके शुरुआती रिपोर्ट कार्ड से स्पष्ट है कि टीम की असफलता उनके कंधों पर भारी पड़ रही है।
यदि ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भी टीम का प्रदर्शन सुधरता नहीं है, तो आने वाले समय में गंभीर की भूमिका पर पुनर्विचार किया जा सकता है। उनकी टीम चयन की स्वतंत्रता और रणनीतिक योजनाओं पर भी नियंत्रण कसा जा सकता है। खिलाड़ियों के फॉर्म और फिटनेस को लेकर भी गंभीर की योजनाओं में कमजोरी दिख रही है। ऐसे में गंभीर के सामने यह चुनौती है कि वे कैसे टीम को एकजुट कर सही दिशा में ले जाएं और अपनी कोचिंग शैली को फिर से मजबूत करें।
गौतम गंभीर के पास एक तेजतर्रार कप्तान और खिलाड़ी का अनुभव है, और उन्होंने अपने खेल करियर में कई कठिनाइयों का सामना कर देश को सफलता दिलाई है। अब उनके पास टीम को पटरी पर लाने और प्रशंसकों का विश्वास जीतने का अवसर है, लेकिन इसके लिए उन्हें जल्द ही रणनीतिक बदलाव करने होंगे। यदि वे टीम को जीत की राह पर ले जाने में सफल नहीं होते, तो उन्हें भविष्य में टीम से संबंधित मुद्दों में सीमित भूमिका के साथ संतोष करना पड़ सकता है।
हार के बाद गौतम गंभीर सवालों के घेरे में
गौतम गंभीर के मुख्य कोच बनने के तुरंत बाद भारतीय टीम को जो झटके लगे हैं, वे उनकी रणनीतियों पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं। 27 वर्षों में पहली बार भारत को श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज में हार का सामना करना पड़ा, और उसके बाद घरेलू टेस्ट सीरीज में न्यूजीलैंड ने 3-0 से भारत का सूपड़ा साफ कर दिया। यह भारत के क्रिकेट इतिहास में पहली बार था जब टीम को तीन या उससे अधिक मैचों की टेस्ट सीरीज में ऐसी करारी हार मिली।
एक कोच के रूप में गंभीर की भूमिका टीम को संगठित करने और बेहतर योजना बनाने तक सीमित होती है, लेकिन आलोचकों का मानना है कि उन्होंने पिच के चयन में एक बड़ी चूक की। मुंबई टेस्ट के लिए स्पिनरों की मददगार पिच का चयन, विशेष रूप से जब भारतीय बल्लेबाजों की स्पिन के खिलाफ कमजोरियां जगजाहिर हैं, एक गलत रणनीतिक निर्णय प्रतीत होता है। इसके अलावा, गंभीर का हर परिस्थिति में खिलाड़ियों से एक ही तरह का खेल रवैया अपनाने की अपेक्षा करना भी भारतीय क्रिकेट से जुड़े लोगों को मुश्किलों में डाल रहा है। उनका यह सख्त दृष्टिकोण खिलाड़ियों की मानसिकता और सामर्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
गंभीर के फैसलों पर सवाल तब और उठे जब तीसरे टेस्ट की दूसरी पारी में उन्होंने तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज को नाइटवॉचमैन के रूप में भेजा और सरफराज खान को आठवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतारा। ये कदम खेल के जानकारों और प्रशंसकों दोनों को चौंका गए। विशेष रूप से सरफराज खान को इतने नीचे क्रम में भेजने का फैसला उनकी बल्लेबाजी क्षमता और मौजूदा फॉर्म के साथ न्याय नहीं करता।
गंभीर की सख्त रणनीतियां और अपेक्षाएँ खिलाड़ियों पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती हैं, जबकि उनका कोचिंग दृष्टिकोण टीम की जरूरतों के हिसाब से लचीला नहीं दिखता। टीम के लिए जरूरी है कि वे इन गलतियों से सबक लें और आस्ट्रेलिया दौरे से पहले रणनीतियों को पुनर्विचार कर सुधारें ताकि भारतीय क्रिकेट की छवि बरकरार रखी जा सके।
बीसीसीआई के एक सूत्र ने गोपनीयता की शर्त पर कहा,
बीसीसीआई ने हाल ही में आस्ट्रेलिया दौरे की चयन बैठक में मुख्य कोच को भाग लेने का विशेषाधिकार प्रदान किया, जो पहले रवि शास्त्री और राहुल द्रविड़ के कार्यकाल में नहीं था। इस विशेष अनुमति के तहत, गौतम गंभीर को बैठक का हिस्सा बनने का अवसर दिया गया, जो बीसीसीआई के नियमों में आमतौर पर कोच को प्रदान नहीं होता। इसका कारण आस्ट्रेलिया दौरे की महत्वता बताई गई। इस फैसले के चलते गंभीर को अब टीम चयन प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर मिला है, और उन्होंने अपने अनुसार कुछ नए खिलाड़ियों को टीम में शामिल किया है।
गंभीर की सिफारिश पर दिल्ली और केकेआर के तेज गेंदबाज हर्षित राणा और आंध्र प्रदेश के ऑलराउंडर नीतीश रेड्डी को चयनित किया गया। यह दोनों खिलाड़ी बार्डर-गावस्कर ट्रॉफी में अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे। गंभीर का चयन में योगदान आगामी ऑस्ट्रेलिया सीरीज के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस दौरे के दौरान उन पर न सिर्फ युवा खिलाड़ियों को लेकर विशेष ध्यान देना होगा बल्कि अनुभवी खिलाड़ियों का भी समर्थन करते हुए उन्हें टीम के लिए उचित प्रदर्शन का आईना दिखाना पड़ेगा।बीसीसीआई इस सीरीज में उनके प्रदर्शन पर गहरी नजर रखेगा, और उनके निर्णयों को परखने के लिए यह सीरीज गंभीर के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है।