Aditya L1 Mission: आदित्य-एल1 ने लगाई अंतरिक्ष में छलांग, पहली बार बदली कक्षा

Aditya L1 mission update: इसरो का सूर्य मिशन आदित्य-एल1 ने अंतरिक्ष में छलांग लगा दी है. रविवार को आदित्य-एल1 ने पहली बार अपनी कक्षा बदली. अब ये 5 सितंबर को दूसरी बार अपनी कक्षा बदलेगा.

Aditya L1 mission update: भारत का पहले सूर्य मिशन आदित्य-एल1 अपने मार्ग में तेजी से आगे बढ़ रहा है. इसने आज पहली बार दूसरी कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर लिया. इस संबंध में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने जानकारी साझा की. इसरो ने बताया कि आदित्य- एल1 ने आज पहली बार अपनी कक्षा बदल ली है. अब ये 235×19500 किलोमीटर की कक्षा से सफलतापूर्वक 245×22459 किलोमीटर की कक्षा में पहुंच गया है. जिसे आदित्य-एल1 की सूर्य की ओर पहली छलांग भी कहना उचित होगा. बता दें कि आदित्य-एल1 sixteen दिनों के दौरान पांच बार अपनी कक्षा बदलेगा. उसके बाद ये एल1 पॉइंट की ओर छलांग लगाएगा.

शनिवार (2 सितंबर) को आदित्य-एल1 की लॉन्चिंग के बाद ये एक घंटा 3 मिनट और 19 सेकंड में पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो गया था. इसके बाद रविवार को आदित्य-एल1 को थ्रस्टर फायर कर इसकी अगली कक्षा में भेजा गया. बता दें कि आदित्य-एल1 का पूरा कंट्रोल धरती से यानी इसरो से किया जा रहा है. अब आदित्य-एल1 अपनी कक्षाओं को चार बार और बदलेगा. कक्षा बदलने के लिए अगली फायरिंग five सितंबर को की जाएगी. उसके बाद sixteen दिन पूरे होने पर ये सूर्य की ओर प्रस्थान कर जाएगा.

15 लाख किमी की दूरी पर होगा स्थापित

बता दें कि आदित्य-एल1 पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी चार महीने में तय करेगा. इसके बाद ये लैंगरेंज पॉइंट-1 तक पहुंचेगा. यह ऐसा बिंदु है जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बैलेंस हो जाता है. इसलिए यहां किसी भी ऑब्जेक्ट को ठहरने के लिए ज्यादा ऊर्जा की जरूरत नहीं पड़ती. यही नहीं यहां से सूर्य ग्रहण का भी असर नहीं होता. ऐसे में आदित्य-एल1 लगातार सूर्य पर निगाह रख पाएगा. साथ ही ये सूर्य के अंदर तक झांक पाएगा. आदित्य-एल1 में फायरिंग के जरिए ही इसरो इसे एल-1 पर हेलो ऑर्बिट में स्थापित करेगा.

इसरो के मुताबिक आदित्य-एल1 a hundred twenty five दिनों यानी 6 जनवरी तक एल1 पॉइंट तक पहुंच जाएगा. इस उपग्रह के साथ सात पेलोड भेजे गए हैं. जो सोलर विंड, चुंबकीय क्षेत्र के साथ अन्य क्रियाओं का अध्ययन करेंगे. बता दें कि भारत का ये मिशन दुनियाभर के लिए फायदेमंद होगा. बता दें कि इस साल भारत की अंतरिक्ष के क्षेत्र में ये दूसरी बड़ी सफलता है. इससे पहले 23 अगस्त को इसरो ने चंद्रयान-three को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्व लैंड कराया था. इसी के साथ भारत दुनिया का पहला देश बन गया था जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कर सका.

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